Sunday, August 12, 2018

Watan










आओ आज हम सब मिल कायम करें मिशाल मोहब्बत की
चलो एक बार फिर मिलकर तोड़ गिराएँ दीवार नफ़रत की


जात पात धर्म मज़हब भेद भाव चलो मिटा दे अपने अंदर की
मिटा के काली रात चलो इक नई सुबह लाएँ इंसानियत की


वतन हमारा है फिर क्यूँ ना एकता से शान बढ़ाएँ हम इसकी
जनम करम जिंदगी पली बढ़ी जहाँ शुक्रगुज़ार हैं उस चमन की


चाहकर भी क्या हम कभी चुका पाएँगे ये कर्ज़ उधार वतन की
वतने आवो हवा, मिट्टी की खुशबू अनमोल उपहार है जीवन की

~Rani Jha






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