ख्वाबों में ही हरदम खेली तुझ संग मैनें होली |
कसक दिल में दबाए राज दिल की ना खोली |
छवि मन में तेरी ही बसी, किसी से ना बोली |
नही कोई रंग भाए मुझको ना ही रंगों की टोली |
मैं तो रंगना चाहूं सिर्फ़ तेरे ही रंग में ए हमजोली |
मैं ना जानूँ रंगो- गुलाल की भाषा और बोली |
मैनें प्यार से सजाया सिर्फ़ तेरी ही तो रंगोली |
बेरंग से लगते हैं मुझको ये सारे रंग-गुलाल,
नीरस से लगते हैं शोर-शराबा और धमाल,
सामने आकर खेलो एक बार संग मेरे होली |
भींग के प्रेम रस में दोनो बन जाए दामन- चोली |
~Rani
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