सवाल ना गीता की है,
और ना ही क़ुरान का है |
मसला ना किसी मज़हब का है,
ना ही किसी इंसान का है |
नफ़रत यहाँ ना हिंदू का है,
और ना ही मुसलमान का है |
बात सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे भीतर
छुपे उस शैतान का है |
By: Rani
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