Monday, March 6, 2017

नारी कभी त्याग की मूर्ति तो, कभी पावन प्यार है |




नारी कभी त्याग की मूर्ति तो, कभी पावन प्यार है |
कभी खिलती धूप तो, कभी झूमती बहार है |

कभी समर्पण तो, कभी भावनाओं का भंडार है |
कभी फ़र्ज़ तो, कभी स्नेह का संसार है |

कभी प्रतिघात तो, कभी शीतल फुहार है |
कभी कर्तब्य तो, कभी ममता की धार है |

कभी साधना तो, कभी सम्मान ओर सत्कार है | 
नारी कभी त्याग की मूर्ति तो, कभी पावन प्यार है |


~ Rani Jha ~




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