
नारी कभी त्याग की मूर्ति तो, कभी पावन प्यार है |
कभी खिलती धूप तो, कभी झूमती बहार है |
कभी समर्पण तो, कभी भावनाओं का भंडार है |
कभी फ़र्ज़ तो, कभी स्नेह का संसार है |
कभी प्रतिघात तो, कभी शीतल फुहार है |
कभी कर्तब्य तो, कभी ममता की धार है |
कभी साधना तो, कभी सम्मान ओर सत्कार है |
नारी कभी त्याग की मूर्ति तो, कभी पावन प्यार है |
~ Rani Jha ~
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