
थोड़ी देर बाद समुद्र से बचाओ, बचाओ की आवाज आई, संत नें देखा की एक मनुष्य समुद्र में डूब रहा हैं |मगर स्वयम को तैरना नहीं आने के कारण वो संत देखने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते थे | स्त्री की गोद में सिर रख कर सोया हुआ व्यक्ति उठा और डूबने वाले को बचाने हेतू पानी में कूद गया | थोड़ी देर में उसने डूबने वाले को बचा लिया और किनारे ले आया | संत विचार में पड़ गए की इस व्यक्ति को
बुरा कहें या भला !

वो उसके पास गए और बोले भाई तूं कौन हैं और यहां क्या कर रहा हैं ? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया की में एक मछुआरा हूं और मछली मारनें का काम करता हूं |
आज कई दिनों से समुद्र से मछली पकड़ कर प्रात: जल्दी यहां लौटा हूं |
मेरी मां मुझे लेने के लिए आई थी और साथ में (घर में कोई दूसरा बर्तन नहीं होने पर) इस दारू की बोतल में पानी ले आई | कई दिनो की यात्रा से में थका हुआ था | भोर के सुहावने वातावरण में ये पानी पी कर थकान कम करने हेतू मां की गोदी में सिर रख कर ऐसे ही सो गया |
मेरी मां मुझे लेने के लिए आई थी और साथ में (घर में कोई दूसरा बर्तन नहीं होने पर) इस दारू की बोतल में पानी ले आई | कई दिनो की यात्रा से में थका हुआ था | भोर के सुहावने वातावरण में ये पानी पी कर थकान कम करने हेतू मां की गोदी में सिर रख कर ऐसे ही सो गया |


संत की आंखों में आंसु आ गए की मैं कैसा मनुष्य हूं ?
जो देखा उसके बारे में गलत विचार किया जिसकी वास्तविकता अलग थी |
कोई बात हम देखते वो नहीं होती हैं उसका एक दूसरा पहलू भी हो सकता हैं |
कोई बात हम देखते वो नहीं होती हैं उसका एक दूसरा पहलू भी हो सकता हैं |

किसी के प्रति कोई निर्णय लेने से पहले सौ बार सोचो !
Rani
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