Thursday, December 8, 2016

मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा







बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया | इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया |  मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा | जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है |

आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था, जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे | मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी |पता तो चले कितना माल छुपाया है | इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को |


जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है |

मैंने जूता निकाल कर देखा, मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था |

जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था, और मुझे जाना ही था घर छोड़कर | जैसे ही कुछ दूर चला, मुझे पांवो में गिला गिला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था | पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था |

जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी |



मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये | मैंने पर्स खोला, 
एक पर्ची दिखा दी, लिखा था ---

लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए, पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?

दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा था |  " उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना "|

ओह .... अच्छे जुते पहनना ??? पर उनके जुते तो ......!!!!


माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो |
और वे हर बार कहते "अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे "
मैं अब समझा कितने चलेंगे |

तीसरी पर्ची ---
पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये |
पढ़ते ही दिमाग घूम गया | पापा का स्कूटर ...  ओह्ह्ह्ह !!! मैं घर की और भागा, अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी ... मैं घर पहुंचा, न पापा थे न स्कूटर |ओह्ह्ह नही !!!

मैं समझ गया कहाँ गए, मैं दौड़ा और एजेंसी पर पहुंचा |
पापा वहीँ थे | मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया | नहीं...पापा नहीं... मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल |
बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है, 
वो भी आपके तरीके से ।




"माँ" एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है |
और "पापा" एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है |





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