Saturday, December 31, 2016

आनेवाले नये साल में ...






जो बातें बीते साल हुई, 
ईश्वर ना करे इस साल हो |


कहीं जात-पात तो, 
कहीं किसी मज़हब की आड़  हो |


कहीं राजनीति तो, 
कहीं कोई नफ़रत की दीवार हो |

कहीं लुटती लाज तो, 
कहीं किसी अबला की चीख-पुकार हो |

कहीं लिंग भेद तो, 
कहीं घायल ममता- दुलार हो |

कहीं बिखरे ख़्वाब तो, 
कहीं किसी के उजड़े बहार  हो |

कहीं घुटता बचपन तो, 
कही दानव संसार  हो |

कहीं बेबस किसान तो, 
कहीं मासूम कोई भूखे-लाचार हो |

गर हो तो हर एक दिल में प्यार ही प्यार, 
ना कोई तकरार हो |

हर इन्सा के लिए, 
मानवता ही जीवन का बस सार हो |

आनेवाले नये साल में, 
हम सबका हंसता-मुस्कुराता इक संसार हो |




by : Rani Jha



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