जो बातें बीते साल हुई,
ईश्वर ना करे इस साल हो |
ईश्वर ना करे इस साल हो |
कहीं जात-पात तो,
कहीं किसी मज़हब की आड़ हो |
कहीं राजनीति तो,
कहीं कोई नफ़रत की दीवार हो |
कहीं लुटती लाज तो,
कहीं किसी अबला की चीख-पुकार हो |
कहीं लिंग भेद तो,
कहीं घायल ममता- दुलार हो |
कहीं बिखरे ख़्वाब तो,
कहीं किसी के उजड़े बहार हो |
कहीं घुटता बचपन तो,
कही दानव संसार हो |
कहीं बेबस किसान तो,
कहीं मासूम कोई भूखे-लाचार हो |
गर हो तो हर एक दिल में प्यार ही प्यार,
ना कोई तकरार हो |
हर इन्सा के लिए,
मानवता ही जीवन का बस सार हो |
आनेवाले नये साल में,
हम सबका हंसता-मुस्कुराता इक संसार हो |
by : Rani Jha
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