Friday, September 30, 2016

फरेब




हमने इस छोटे से जीवन में, 
हर वो इक मंज़र देखा है ...
सूनी आँखों में भी, 
दर्द का वो समंदर देखा है |
चेहरे पे झूठी मुस्कान और, 
फरेब लोगों के अंदर देखा है |
गैरों की तो बात ही छोड़ो, 
यहाँ तो अपनों के ही हाथों में
छुपा खंज़र देखा है |
हमने इस छोटे  से जीवन में, 
हर वो इक मंज़र देखा है ...


Comment Down Below & Share.
Follow Us On Google+ (G+)
And Make Sure To Subscribe
To Our Blog !!!

By: Rani Jha

1 comment: